ओम निर्माण का बीज है। यह पूर्ण है। जी हां यह संपूर्ण है, क्योंकि यह स्पष्ट है और इसके अस्तित्व का सबूत है।
संपूर्ण ब्रह्मांड और उसकी रचना ओम की ध्वनि द्वारा शासित और जुड़ी रहती है। इसे पूरी तरह से महसूस करने और इसके निष्कर्ष को समझने वाला एक साधक सर्वोच्च सत्ता से जुड़ सकता है और इसके बाद सत्य का पता लगा सकता है।
जीवन का स्रोत
प्राण या श्वास को जीवन का स्रोत कहा जाता है। गहन ध्यान के बाद महसूस होता है कि श्वास लेने या छोड़ने के साथ एक ध्वनि सुनाई देती है, जो शरीर के विभिन्न अंगों के साथ जुड़ती है। 'ओ' की ध्वनि आह्वान है, जो ब्रह्मांड की बाहरी शक्तियों को जगाने का काम करती है।
'म' शब्द की ध्वनि बंद होंठों के साथ इन सभी शक्तियों को अवशोषित करने या धारण करने का काम करती है। आपके शरीर की सभी शिराएं इसे महसूस कर सकती हैं। कांपने के दौरान आनंद मिलता है। इस तरह की चेतना आपकी आत्मा को गहरे तक ब्रह्मांड और सार्वभौमिक रहस्यों का मानव रूप में अनुभव देती है।
उत्तम ध्वनि
यह सभी जानते हैं कि पांच तत्वों की गूंज और उसकी सभी घटनाओं के साथ कुछ विशिष्ट सूक्ष्म तरंगें उत्पन्न होती हैं और वैदिक ऋषि इन आवृत्तियों का पालन करने, मंत्रों और अक्षरों का दस्तावेजीकरण करने के लिए विवश होते हैं। वाणी या बोले गए अक्षरों का गहराई से अध्ययन किया गया है। दृढ़ जागरूकता और ध्यान से इसकी गहन जांच की गई है।
इसमें कोई शक नहीं है कि ओम सबसे ज्यादा सार्वभौमिक, आसान, सहज और प्राकृतिक कथन है। यह थरथराने वाली उत्तम ध्वनि, खालीपन की ध्वनि के साथ मिल जाती है। यह ध्वनि सृष्टि में होने वाली सभी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होती है। इसके पाठ और ज्ञान की मदद से आत्मा और परमात्मा के बीच एक संवाद स्थापित किया जा सकता है। इस कारण से ओम मंत्र शक्तिशाली थरथराने वाली ध्वनि है, जो पूरी कायनात में एकता का अनुभव कराती है। इसे नाद ब्रह्मा अर्थात सृजन की ध्वनि कहा जाता है।
शून्य की अनंत ध्वनि
ओम शून्य की अनंत ध्वनि है। पूरे ब्रह्मांड में यह उत्पत्ति, पूर्णता और विनाश के चक्र को शासित करने और गति देने का काम करती है। हमारे मुख से निकली प्रत्येक ध्वनि भावनात्मक अंतर्धारा पर निर्भर होकर हमें खुद ही राह दिखाती रहती है। हमारा दृढ़निश्चय सृजनशीलता और पूर्णता को बढ़ाता है, जबकि नकारात्मकता विनाश को जन्म देती है।
शरीर के रूप में मानवीय आत्मा सिर्फ खाने के सहारे नहीं चल सकती। इसके लिए ब्रह्मांड की शक्तिशाली थरथराने वाली ऊर्जा की जरूरत होती है। ओम की धड़कन एक अदृश्य शक्ति है। यह क्राउन चक्र की मदद से पूरे मानवीय शरीर में दौड़ती है। क्राउन चक्र शीर्ष ग्रंथि के साथ जुड़ा हुआ सैकड़ों शक्तियों का एक तालाब होता है। यह वह सर्वोच्च बिंदु होता है, जहां से हमें दिव्य प्रकाश मिलता है। उस समय हमारे मन से सारी दुविधा, अज्ञानता और झूठ का नाश होता है। क्राउन चक्र में ब्रह्मांडीय ऊर्जा का जलाशय अनंत योग्यता के प्रदर्शन के लिए है। इसका केंद्र ओम ध्वनि की तंरगों से थरथराता है। बाइबिल के शब्द आमेन और कुरान के आमीन ब्रह्मांडीय और अनंत ध्वनि को ही प्रतिबिंबित करते हैं।
उच्चतम योगी
गीता में कहा गया है कि ओम शब्द के ज्ञान और प्राणायाम (श्वास नियंत्रण) में महारत रखने वाला उच्चतम योगी कहलाता है। उसकी आत्मा स्वत: ही ब्रह्मांड के साथ जुड़ जाती है और आनंदमयी जीवन जीने के लिए सशक्त हो जाती है। मानवीय जीवन से जुड़े सभी द्वंद्व और संदेह मन से गायब हो जाते हैं और वह खुद को पूर्ण महसूस करता है।
शरीर, मन और आत्मा की सभी आवृत्तियों के अनुरूप ही ओम की करणीय ध्वनि को सर्वोत्तम माना गया है। इसके सही महत्व को समझने के लिए मन अभ्यास करता है। ज्ञान और बुद्धि हासिल करने के लिए पूर्ण शांति जरूरी है। मानवता को नई दृष्टि देने वाले आविष्कारक जाने-अनजाने में ही ओम आवृत्ति के साथ परमेश्वर से जुड़ जाते हैं।