अकेले हम बूँद हैं,
मिल जाएं तो सागर हैं।
अकेले हम धागा हैं,
मिल जाएं तो चादर हैं।
अकेले हम कागज हैं,
मिल जाए तो किताब हैं।
अकेले हम अलफ़ाज़ हैं,
मिल जाए तो सुंदर रचना हैं।
अकेले हम ईंट पत्थर हैं,
मिल जाएं तो इमारत हैं।
अकेले हम दुआ हैं,
मिल जाएं तो इबादत हैं।
जीवन का आनन्द मिलजुल कर रहने में है