गुरु वंदना

गुरु वंदना



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गुरु देव दया कर दो मुझ पर मुझे अपनी शरण में रहने दो।

मुझे ज्ञान के सागर से स्वामि अब निर्मल गागर भरने दो।।

 

तुम्हारी शरण में जो कोई आया पार हुआ वह एक ही पल में।

इस दर पर हम भी आये है इस दर पर गुज़ारा करने दो।।

 

सर पे छाया गौर अन्धेरा तू जग नाही राह में है काई।

यह नैन मेरे और जोत तेरी इनन नेनन को भी बहने दो।।

 

चाहे डुबो दो चाहे तरा दो मर भी गये तो देगे दुआये।

यह नाव मेरी और हाथ तेरे मुझें भवसागर से तरने दो दो।।

 

गुरु देव दया कर दो मुझ पर मुझे अपनी शरण में रहने दो।

मुझे ज्ञान के सागर से स्वामि अब निर्मल गागर भरने दो।।

जय गुरुदेव।

अशोक कौल वैशाली