नाम न जानिआ राम का, मूढ़े फिर पाछे पछुताई।

नाम न जानिआ राम का, मूढ़े फिर पाछे पछुताई।



नाम न जानिआ राम का, मूढ़े फिर पाछे पछुताई।

अनता धुन धरणी धरै, अनत न चाहिआ जाई।।

                                                श्री गुरु नानक देव जी नानक कहते हैं कि मूर्ख मनुष्य] धन-वैभव को ही सब कुछ समझकर उसका संग्रह करता रहता है और उस अनंत ऐश्वर्य देने वाले परमात्मा को याद नहीं करता। अंत समय आने पर विलाप करता है। अतः धन-वैभव का मोह छोड़कर परमात्मा का स्मरण कर, क्योंकि वही इस धरती को धारण करने वाला परमात्मा है।