सहजो जीपत सब सगे, मुए निकट नहिं जायं।

सहजो जीपत सब सगे, मुए निकट नहिं जायं।



सहजो जीपत सब सगे, मुए निकट नहिं जायं।

रोवैं स्वारथ आपने, सुपने देख डरायं।।

                                    सहजोबाई

सजोबाई कहती हैं कि जब तक आदमी जीवित रहता है तब तक ही लोग उससे प्रेम करते हैं। मरने के बाद तो उससे बचते हैं। सबउ न सुखों को याद करके रोते हैं जो उस मृत व्यक्ति ने दिए थे, क्योंकि अब उन सुखों से वंचित रहता पड़ेगा । और यदि वह  व्यक्ति स्वप्न में दिखाई दे जाता है तो उससे डरते हैं।