जहों कलह तहां सुख नहीं, कलह सुखनि कौ सूल।

जहों कलह तहां सुख नहीं, कलह सुखनि कौ सूल।



जहों कलह तहां सुख नहीं, कलह सुखनि कौ सूल।

सबै कलह इक राज मैं,  राज कलह कौ मूल।।

                                                नागरीदास

नागरीदास कहते हैं कि जहां झगड़ा होता है, वहां सुख नहीं होता। झगड़ा सुख में कांटे की तरह चुभता रहता है। सारा संघर्ष राजसता, धन-वैभव के लिए होता है। यही कलह के मूल कारण हैं। यदि मनुष्य सुखी होना चाहता है तो उसे लोभ छोड़ देना चाहिए, क्योंकि कलह जंहा होगी वहां सुख न होकर दुख ही होगा।