अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में ।
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में ।।
अब सौंप दिया इस जीवन का
मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हें पा जाऊँ में ।
अर्पण कर दूं दुनियाँ भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।।।
अब सौंप दिया इस जीवन का
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जैसे जल में कमल का फूल रहे।
मेरे गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का
जब मानुष का मुझे जन्म मिले , तो तव चरणों का पुजारी बनूं ।
इस पूजक की एक एक रग का , हो तार तुम्हारे हाथों में ।।
अब सौंप दिया इस जीवन का
जब जब संसार का कैदी बनूं , निष्काम भाव से कर्म करू ।
फिर अन्त समय में प्राण तजूं , साकार तुम्हारे हाथों में । निराकार तुम्हारे हाथों में ।
अब सौंप दिया इस जीवन का
हममें तुममें बस भेद यही , हम नर हैं तुम नारायण हो ।
हम हैं संसार के हाथों में , संसार तुम्हारे हाथों ।।
अब सौंप दिया इस जीवन का
साभारः श्री रामदेवी जी एवम् भजन संग्रह