तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।
पक्षी पंख बिन, करी दन्त बिन, नारी पुरुष बिना।
जैसे पण्डित वेद विहीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना ॥
तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।
कूप नीर बिन, धेनु क्षीर बिन, मन्दिर दीप बिना।
वेश्या पुत्र पिता बिन हीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना ।।
तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।
देह नैन बिन, रैन चन्द्र बिन, पुष्प सुगन्ध बिना ।
जैसे तरुवर फल बिन हीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना।
तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।
काम क्रोध मद लोभ निवारो, माया त्यागो सन्त जना ।।
कह नानक सुमिरो भगवन्ता, या जग में कोई नहीं अपना ॥
तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।
साभारः श्री रामदेवी जी एवम् भजन संग्रह