तू सुमिरन करले मेरे मना

तू सुमिरन करले मेरे मना



तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

 

पक्षी पंख बिन, करी दन्त बिन, नारी पुरुष बिना।

जैसे पण्डित वेद विहीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना ॥

                तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

कूप नीर बिन, धेनु क्षीर बिन, मन्दिर दीप बिना।

वेश्या पुत्र पिता बिन हीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना ।।

                तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

देह नैन बिन, रैन चन्द्र बिन, पुष्प सुगन्ध बिना ।

जैसे तरुवर फल बिन हीना, त्यों प्राणी हरिनाम बिना।

                तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

काम क्रोध मद लोभ निवारो, माया त्यागो सन्त जना ।।

कह नानक सुमिरो भगवन्ता, या जग में कोई नहीं अपना ॥

                तू सुमिरन करले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरिनाम बिना ।

 

साभारः श्री रामदेवी जी  एवम् भजन संग्रह