जैसी जाकी बुद्धि है , तैसी कहै बनाय ।

जैसी जाकी बुद्धि है , तैसी कहै बनाय ।



जैसी जाकी बुद्धि है , तैसी कहै बनाय ।

ताको बुरा न मानिए , लेन कहां सो जाय ।।

 हर एक सुसंस्कृत और मृदुभाषी नहीं हो पाता । जिसकी जैसी बुद्धि है , वह उसी के अनुसार बात करता है । वैसे हर मनुष्य यथासाध्य अच्छी बात करने का प्रयास करता है । मगर कुछ ऐसे संस्कार विहीन मनुष्य भी होते हैं , जिनकी बात बन नहीं पाती बल्कि बिगड़ जाती है । उनकी बात अनजाने में ही अपमानजनक तथा हिंसक हो जाती है । ऐसे बेवकूफ मनुष्य रहम के पात्र हैं । अब इस उम्र में कहां से बात करने का तरीका सीखें ? ऐसे मनुष्य की बात का बुरा नहीं मानना चाहिए । हकीकत में उनका इरादा बातों से चोट पहुंचाने का नहीं होता । मन में घर करने वाली बात को बेघर कर दो ।