क्याह गोंय म्यानुय मलालय,हर् इत् घर् सोन सालय।।
1
शिवनाथ बोज़तम म्य अरचर,
चेय रोस्त ब् कस वन् हरीहर ।
कन थाव बोज़ अहवालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
2
बोजतम म्य जार् तय पारो,
शिव छुस सेवाकारो।
लागय पम्पोश मालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
3
साधाह इतम जानानय,
सूरमति भंग मसतानय।।
नूर भरिते म्यानि लालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
4
अंग्-अंग् भस्मा रंगा रंग,
मस्त छुख मखमूर चयेंथ भंग।
बस कुछ छुस कमि हालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
5
प्रेमुक मस बअगरावान,
त्रअविथ म्य वोपॅरन चावान।
म्यति चाव मसकी प्यालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।
6
केलास रअटथम जाये,
शिन्याहस अन्दर करत् साये।
फेरान छुख बअल बालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
7
ही शिव ब् हा मशरोवथस,
परडुन अन्दर क्याजि त्रोवथस
जुव म्योन छुय हवालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।
8
छांढथ बू शहर तय गामो,
हर जाय पर चून नामो।
डल् मा थअवज़म खयालय,
हर् इत् घर् सोन सालय।।
9
लगयो पम्पोश पादन,
पास कर थावतम म्य लादन।
कासतम गम कअल कालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।
10
मोख्सर बोज़ शिव शंकर,
फेरय न पथ छुस बरदर।
नेर् चेय पत् पान जालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।
11
अछ लोस् भक्तिस वुछान राह,
वनतम म्य कोरमुत खताह छा।
दया करतम दयालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।
क्याह गोंय म्योनुय मलालय,
हर् इत् घर् सोन सालय ।।