तोह्य ऋषन हंद्य सन्तान, अजपा ज़पिवू सन्तो।।
दम अख मो रावराविव, ओमकार ललनाविव ।
हद कमल फोलनाविव, सिरियि ह्यि व नपिव संतो।।
च्यथ थ्यर निरभयी, कर्यवू सहज़ क्रयी।
हृदयस ओम लयी, त्रेय द्वार पिवू सन्तो।।
प्रत्यख गुरू छि दयी, तिहन्जय बर्यवू प्रयी।
सार्यसई बनिवह ज़यी पथ तिमन छपिवू सन्तो।।
युथ नो केंह खसिवह बौशीय, दमह दमह कर्यज़ि होशी।
अदह फोलनवह पोशी म्येचि स्थीत श्रोपिवू सन्तो।।
पानस पानह तीलिव, कांसि मो तोह्य गीलिव ।
दयसई स्यीत मीलिव बेयन ति दपिव सन्तो।।
सत शब्द गोस गोशन गोवेन्द छ्य तोशन ।
अलिमि गैब गछिवह रोशन, हरगाह वेपिवू सन्तो ।
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पत्थर की ही सीढ़ी और पत्थर की ही देव-प्रतिमा, परन्तु एक पर हम पैर रखते हैं और दूसरे की पूजा करते हैं । भाव ही भगवान हैं।