धन्य धन्य गुरू दीवा

धन्य धन्य गुरू दीवा



Swami Govind ji

धन्य धन्य गुरु दीवा, धन्य पूर्ण ब्रह्मह दीनानाथ ।

वन्दयो पादन चेय जुव, सानि गुरू ।।

भक्ति-वत्सलय दयालह, शांन्ति स्वरुपय ।

शायि चानि सारिज मन न्यूव, सानि गुरू ।

रसह पूर्णह विज्ञानह-रवह ही सच्चित आनन्दह ।

भगवन काँह दोयुम छुय न चेय राव, सानि गुरू ।।

छारान धोरान मनीश्वर ध्यान छिय चोनुय ।

ब्रह्मादि वेशिन त शिव, सानि गुरू ।।

आरहकरत्यन हन्द च्यत करनय प्रसन्न, छय चान्य काम।

दीनहबन्दो दयायि प्यठ यू, सानि गुरू ।।

स्यद्धी नव निधी रिधी न मंगय, मुक्ती चेय कीवल ।

अटल भक्ती दान द्यु व वञ, सानि गुरू ॥

शब्दह जहाज़स प्यठ खारिथ तारिथ च्यह भवसरय।

च्यह रोस्त स्यठा बोंठ म्य रिव, सानि गुरू ॥

दफतह गोवेन्दह बनिन च्यह ग्यानी जान ।।

जनमह जनमह म्यानि पाद वह सीव सानि गुरू ।।

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यदि तुममें कोई अच्छाई हो तो यह समजो कि दूसरों में तुमसे कहीं अधिक है।