संतो वन्य शुव पननिस पानस

संतो वन्य शुव पननिस पानस



Swami Govind ji

संतो वन्य द्य व पतनिस पानस, पननिस पानस तील्यज़े।।

पननिस पानस श्री भगवानस, पननिस पानस तील्यज़े।।

व्यचार कर पर वेशिनह पुराणस, कृष्णह लीलायि ना गील्यज़े ।।

भोदस मंज़ खीद वीद प्रमाणस, पननिस पानस तील्यज़े  ।।

पूरह सूर कर्यज़े दिह अभिमानस, संतन स्यीत शिहील्यज़े ।।

जिन्दह मर प्राविज़ि शिवर्यवानस, पननिस पानस तोल्यज़े।।

भ्रमह रोस्त रोज़ मंज़ आत्म ध्यानस, शीन्यक्यपाठ्य कूमाल्यज़े ।।

कल्याणहघन्न रोज़ मंज़ कल्याणस, पननिस पानस तोल्यजे ।।

ध्यानह धारनाये छह मंज़ अज्ञानास, पज़ि कथि नो जहील्यज़े।।

हिशर न बा ध्यानस त ज्ञानस, पननिस पानस तोल्यज़े ।।

लस बा ह्यस कर खस असमानस, सत शब्दस स्यीत ख्यील्यजे ।।

वापस म वस बस आयस थानस, पननिस पानस तील्यज़े ।।

हिशर गव समाज व्यथानस, सतस्वरूपस तील्यज़े ।।

गोवेन्देह वनतह यछि कस भाग्यवानस, पननिस पानस तील्यज़े ।।

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काजल की कोरो में कितना भो बचकर रहो,  कुछ कसौंस लगेगी ही। इसी प्रकार युवक-युवती परस्पर बहुत सावधानी के साथ रहें तो भी कुछ न कुछ काम जागेगा ही।