श्यामह सुन्दरह श्यामह लालह

श्यामह सुन्दरह श्यामह लालह



Swami Govind ji

श्यामह सुन्दरह श्यामह लालह, लालह मालन लगय ।

गोपालह बालह कृष्णह बालह छालन लगय ।।

न्यूथम हा होश ह्यस, चोवथस हा लोलह मस ।

रास गिन्दनस त चान्यन चालन लगय ।।

जेरह छुम आमुत नेरह हा चेय स्यीत ।

फेरह बठ्य बठ्य जमनायि नालन लगय ।।

मोभि चूर थनि चूर मोनि पादन लगय ।

रोजि छोजि छोड़ गोम तनि नालन लगय ।।

ओम सूहंगहगह मूर्ली बृजम ।

रंगह रंगह सारंगह चंगह तालन लगय ।।

चला वूछता मे कुन वला गिन्दहाव रास ।

रासह मंडलह मंज़ह रासह डालन लगय ।।

ओम डुमह डुमह बूज्य गुमह छिम वसान ।

भूमहनई चेय ब रुमह रुमह वालन लगय ।।

वन्दह वन्दह गुज़राव अन्द जायि बिहिथई ।

लोलह नारह काँहगर छस न चालन लगय ।।

राधायि हंधि जुवह टाठि गोवेन्दो ।

टोठ छुख च भक्तनई हा पालन लगय ।।

                            ***

सूई के छेद में तागा पहनाना चाहते हो तो उसे पतला करो ।

मन को ईश्वर में पिरोना चाहते हो तो दीन-हीन अकिञ्चन बनो।