सतचित आनन्द अपारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
नामह रूपहके आधारय, निर्द्वन्धय कीवलय ।
जोलथस बु लोलह नारय, निर्विकारय निर्मलय ॥
स्वयम प्रकाशि यारय, बोज़ साक्षी अचलय ।
वायय सूहम सितारय, निर्विकारय निर्मलय ॥
ख्यत च्यत नित निराहारय, पदमह पत्र वत मंज़ जलय।
निरलीप च सम्सारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
जोश प्रयमूक बकह बारय, आम वज क्याज़ि डलय।
चई बुय वीदचि यि पारय, निर्विकारय निर्मलय।।
मनि खनह बु ओमकारय, आत्मह ध्यानय विगलय ।
इथह शोन श्रावुन त हारय, निविकारय निर्मलय ।।
दीशि कालह रस्यति प्रारय, कति पादन जुव मलय।
जय जय बविनय बारम्बारय, निर्विकारय निर्मलय।।
छोड़ युस गामह शहारय. सुय बुय च्वोल ज़िलज़िलय।
गोसह गम च्वोल ओस खारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
प्रयमह चाने पारह पारय, जिगरस गोम मंगलय ।
निर्गणह निराकारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
काँसि ह्योक न विस्तारय, चोन करिथई मूलय ।
गयि शरमन्दह बेआरय, निर्विकारय निर्मलय ।
ज्यनह मरनहके आजारय, निशि बो मोकलय ।
युन गछुन भ्रम कति दुबारय, निर्विकारय निर्मलय ॥
भवहसरहके तरि सु तारय, दिह अभिमानह ब्यलय ।
करिपूज़ ने जारह पारय, निर्विकारय निर्मलय ॥
भक्ती चान परमह पारय, कर भक्ति-वत्सलय ।
आस म्यानी अनहवारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
सदाशिवय जटाधारय, शुक्लह वरणह कोमलय ।
त्रिनेत्रय गङ्गाधारय, निर्विकारय निर्मलय ।।
साक्षी-वत रोज़ व्यवहारय, गोवेन्दय चई कूलय ।
कोर तर्य सहजह व्यचरय निर्विकारय निर्मलय ।