शिवह लगयो शिवह नावस

शिवह लगयो शिवह नावस



Swami Govind ji

शिवह लगयो शिवह नावस, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।

पूरण ब्रह्मह परमीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

दर्शन दिम करुणाकरह, अदह क्याज़ि ब छेन्दरो ।

त्रन भवनन हन्दि गाशंरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

मृत्यजाजयि गङ्गाधरह, शूभान च्यह ड्यकि चन्दरो ।

जटाधरह त्रिशूलहधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

डुमह डुमह चाने डुमरह, स्यीत कति रोज़ि न्यन्दरो ।

ग्यति बोजनावतम च अमरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

सत करहवुन चई सतगुरह, यूगियन यूग्यन्दरो ।

अज़ वा म्यति गछहम सरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

जपान लोलह ईकह अक्षरह, तिमनई फेरि ज्यन्दरो।

वजि सहम मोधुरि स्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

द्वादशान्त मन्डलकि भासकरह, गाश अन मे न्यबरह अन्दरो।

शद्ध जीतन च्यनहमातरह, शंकरह शुक्लह सन्दरा ॥

दया करवनि ईश्वरह, सतगुरह सिरियि चन्दरो।

प्रारान छुस तल चानि बरह, शकरह शुक्लह सुन्दरो ।

शाना कोर मानसरोवरह, हंसव ब्रह्मह रोन्दरो ।

म्यति करहनाव यूगीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।

मे पालवनि कपालहधरह, त्योव लोलह तोन्दरो।

वस वस जाल भसमाधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

लोलह पोशव ब पूजा करह, वे मज़ मनि मन्दरो ।

यवह तवह द्यवह भवसरह तरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

कालस चानी थरह थरह, ब्रह्मा आदि इन्दरो ।

शरण सारिय च्यह ईश्वरह; शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

आश छम चानीय आश्चरह, लागय पोशि गोन्दरो ।

चरणह कमलन च्यह दिगम्बरह, शंक रह शुक्लह सुन्दरो ।

बृहस्पत नविमे घरह, चन्दर छुय क्यन्दरो ।

तोलि हंद्य वुश शनश्चरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

मारकांडियून ओय ज़रह ज़रह, सानि विज़ि म लाग हुन्दरो।

गोवेन्दस ति करिजि खरह खरह, शंकरह शुल्कह सुन्दरो ।।