शिवह लगयो शिवह नावस, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।
पूरण ब्रह्मह परमीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।
दर्शन दिम करुणाकरह, अदह क्याज़ि ब छेन्दरो ।
त्रन भवनन हन्दि गाशंरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥
मृत्यजाजयि गङ्गाधरह, शूभान च्यह ड्यकि चन्दरो ।
जटाधरह त्रिशूलहधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।
डुमह डुमह चाने डुमरह, स्यीत कति रोज़ि न्यन्दरो ।
ग्यति बोजनावतम च अमरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥
सत करहवुन चई सतगुरह, यूगियन यूग्यन्दरो ।
अज़ वा म्यति गछहम सरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।
जपान लोलह ईकह अक्षरह, तिमनई फेरि ज्यन्दरो।
वजि सहम मोधुरि स्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥
द्वादशान्त मन्डलकि भासकरह, गाश अन मे न्यबरह अन्दरो।
शद्ध जीतन च्यनहमातरह, शंकरह शुक्लह सन्दरा ॥
दया करवनि ईश्वरह, सतगुरह सिरियि चन्दरो।
प्रारान छुस तल चानि बरह, शकरह शुक्लह सुन्दरो ।
शाना कोर मानसरोवरह, हंसव ब्रह्मह रोन्दरो ।
म्यति करहनाव यूगीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।
मे पालवनि कपालहधरह, त्योव लोलह तोन्दरो।
वस वस जाल भसमाधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।
लोलह पोशव ब पूजा करह, वे मज़ मनि मन्दरो ।
यवह तवह द्यवह भवसरह तरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।
कालस चानी थरह थरह, ब्रह्मा आदि इन्दरो ।
शरण सारिय च्यह ईश्वरह; शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।
आश छम चानीय आश्चरह, लागय पोशि गोन्दरो ।
चरणह कमलन च्यह दिगम्बरह, शंक रह शुक्लह सुन्दरो ।
बृहस्पत नविमे घरह, चन्दर छुय क्यन्दरो ।
तोलि हंद्य वुश शनश्चरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।
मारकांडियून ओय ज़रह ज़रह, सानि विज़ि म लाग हुन्दरो।
गोवेन्दस ति करिजि खरह खरह, शंकरह शुल्कह सुन्दरो ।।