मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रबहु सो दशरथ अजिर बिहारी।।
जय रधुनन्दन जनक किसोरी।
सीता राम मनोहर जोरी।।
गावहिं सुन्दरी मंगल गीता।
लै लै नाम राम अरु सीता।।
राजा राम जानकी रानी।
आनन्द अवधि अवध रजधानी।।
राम कथा ससि किरन समाना।
संत चकोर करहिं जेहि पाना।।
यह वर मांगहूँ कृपा निकेता।
बसहु हृदय श्री अनुज समेता।।
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राज राज नहिं काहुहि व्यापा।।
जाके सुमिरन ते रिपु नासा।
नाम सत्रुहन वेद प्रकासा।।
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहिता जेहि जपत पुरारी।।