आसमान पर उड़ने वाले धरती को पहचान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।
ये संसार सभी नश्वर है, फिर कैसा अभिमान,
छोड़ के ये जग वो भी चल दिये,जो थे वीर-बलवान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।
धन-दोलत का मान बुरा है, कहते वेद-पुराण,
अभिमानी रावण को देखो, मिट गया नामोनिशान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।
तीरथ मन्दिर-मन्दिर ढूँढ़ा, गया न इतना ध्यान,
हर दिल में भगवान बसा है, हो सके तो पहचान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।
सदा यहाँ रहना नहीं तुझको दिन चार का मेहमान,
फिर भी नफरत इन्सान से करे, तू भी तो इन्सान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।
अब भी समय है षरण में आजा, तज दे सभी अभिमान,
ये संसार छोड़ ही जाना डेरा होगा ष्मषान।
किसी का रहा नहीं अभीमान।।