सीताराम सीताराम सीताराम
यह नाम बनाया प्रथम पूज्य, गणपति जी को पल में।
मिल गया यही अवलंब नाम, शबरी को जंगल में।।
लाखों का बेड़ा पार किया, पहुँचाया प्रभु के धाम।
सीताराम सीताराम सीताराम
बजरंग बली के बल में, इसकी महीमा भारी है।
ध्रव और विभीषण को भी, ये ही बूटी प्यारी है।।
प्रहलाद इसी को रटते थे, निसिवासर आठों याम।
सीताराम सीताराम सीताराम
ब्रह्मा के चारों वेदों से, यह नाम उचरता है।
शिवजी के मानस मन्दिर में, दीपक सा जलता है।।
नारदजी की वीणा पर, बजता है ये ही नाम।
सीताराम सीताराम सीताराम
क्या कहे अनाड़ी मोदलता, इसमें क्या होना है।
हम क्या बतलायें प्रेमी जन, इसमें क्या टोना है।।
जप कर देखो श्रद्धा से, होवेगा पूरण काम।
सीताराम सीताराम सीताराम