गोपी झमक-झमक के नाचै, ग्वाला गावैं मीठे तान।।
नन्द भवन में बजी बधाई, कोयल सी कौंहकी शहनाई,
ढोल झांझ डप धुनी सुहाई,
गहक- गहक के बाजन लागे, चारों ओर निसान ।
गोपी झमक-झमक के नाचै, ग्वाला गावैं मीठे तान।।
हेरी कह-कह ग्वाला गावैं,
लुकुट पिछौरा लै फहरावैं,
उछरैं और सबन उछरावैं,
तारी दै-दै हँसे हँसावै, नेक न राखें मान
गोपी झमक-झमक के नाचै, ग्वाला गावैं मीठे तान।।
झूमत नाचैं ब्रज के नारी,
ऐसौ कोहकंदौ भयो भरी,
मन भई सी देवैं गारी,
ऐसौ आनन्द बढ़ायो नन्द घर, जब ते जनमे कान्ह।
गोपी झमक-झमक के नाचै, ग्वाला गावैं मीठे तान।।