तेरे पूजन को भगवान, बना मन मन्दिर आलीशान।।
किसने जानी तेरी माया किसने भेद तुम्हारा पाया।
हारे ऋशि मुनि कर ध्यान, बना मन मन्दिर आलीशान।।
तू ही जल में तू ही थल में, तू ही मन में तू ही वन में
तेरा रुप अनूप महान, बना मन मन्दिर आलीशान।।
तू हर गुल में तू बुलबुल में, तू हर डाल के हर पातन में।
तू हर दिल में मूर्तिमान, बना मन मन्दिर आलीशन।।
तूने राजा रंक बनाये, तूने भिक्षुक राज बैठाये।
तेरी लीला ऐसी महान, बना मन मन्दिर आलीशान।।
झूठे जग की झूठी माया, मूरख इनमें क्यों भरमाया।
कर जीवन का शुभ कल्यान, बना मन मन्दिर आलीशान।।