पल पल आयु घटे रे प्राणी, हरि भजन छोड़ सबई जंजाल।
उमरिया घटती ही जावै,
गयो दिन फेर नहीं पावै,
मौत सिर पर चढ़ती आवै,
भजन करै ना भूल्यौ डोलै, परयो काल के गाल।
पल पल आयु घटे रे प्राणी, हरि भजन छोड़ सबई जंजाल।
भये यहाँ बहुत बड़े बलवान,
तीन लोकन में उनके नाम,
धूर में मिले न रह्यो निषान,
हिरणाकश्यप, रावण, कंसा, खाय लियो यह काल।
पल पल आयु घटे रे प्राणी, हरि भजन छोड़ सबई जंजाल।
बचैगो तू कैसेहू नाय,
भले करलैं कितनोई उपाय,
कहुँ मैं भैया प्रेम लगाय,
झूठे दुनिया के कामन में, मत भूलै गोपाल।
पल पल आयु घटे रे प्राणी, हरि भजन छोड़ सबई जंजाल।
बड़े हैं गोविन्द दीनदयाल,
पिवायो जहर पूतना घाल,
दई मैया की गति नन्दलाल,
ऐसे स्वामी के चरनन की, धूरि लगाओ भाल।
पल पल आयु घटे रे प्राणी, हरि भजन छोड़ सबई जंजाल।