सहज़स शम तॅ दम नो गछ़े    Lalla Wakh लल वाख  - 59                       

सहज़स शम तॅ दम नो गछ़े    Lalla Wakh लल वाख  - 59                       



सहज़स शम तॅ दम नो गछ़े,

यछ़ि नो प्रावख मुक्ति-द्वार।

सलिलस लवण ज़न मीलिथ गछ़े,

तोति छुय दुर्लभ सहज़ व्यच़ार।।

अर्थात्

सहज़ (आत्म साक्षात्कार) के लिए शम एवं दम की आवश्यकता नहीं। मात्र चाहने से तू मुक्ति-द्वार पा नहीं सकता। (यदि) सलिल (जल) में लवण सदृश मेल भी हो,तो भी सहज-विचार दुर्लभ है।

You need not strive hard (restrain self and retain breath) for that perpetual (unobstructed)sound; nor can …

Contributed By: अशोक कौल वैशाली