सम्सारस आयस तपसॅह   Lalla Vakh लल वाख  - 33

सम्सारस आयस तपसॅह   Lalla Vakh लल वाख  - 33




सम्सारस आयस तपसॅह,

ब्वद्धि प्रकाश लोबुम सह़ज़।

मर्य् म न कुँह्  तॅ मरॅ न कांसि,

मरॅ ने छ तॅ लसॅ नेछ।।

अर्थात् 

मै तपस्विनी बनकर इस संसार में आई। बुद्धि-ज्ञान प्रकाश से मैंने सह़ज़(स्वात्म-परमात्मा-बोध )पा लिया।  न मेरा कोई मरेगा ओर न मैं ही किसी के लिए मरूॅगी। मरूं तो वाह-वा ! जीवित रहूँ तों  वाह-वा ! अर्थात् आत्म-बोध जीवन-्मरण की अपेक्षा से परे है।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली

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