सम्सारस आयस तपसॅह,
ब्वद्धि प्रकाश लोबुम सह़ज़।
मर्य् म न कुँह् तॅ मरॅ न कांसि,
मरॅ ने छ तॅ लसॅ नेछ।।
अर्थात्
मै तपस्विनी बनकर इस संसार में आई। बुद्धि-ज्ञान प्रकाश से मैंने सह़ज़(स्वात्म-परमात्मा-बोध )पा लिया। न मेरा कोई मरेगा ओर न मैं ही किसी के लिए मरूॅगी। मरूं तो वाह-वा ! जीवित रहूँ तों वाह-वा ! अर्थात् आत्म-बोध जीवन-्मरण की अपेक्षा से परे है।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली