लतन हुन्द माज लार्-योम वतन्    Lalla Wakh लल वाख  - 58

लतन हुन्द माज लार्-योम वतन्    Lalla Wakh लल वाख  - 58



लतन हुन्द माज लार्-योम वतन् ,

अॅकिय हाॅवनम अकिचिय वथ ।

यिम-यिम बोज़न तिम कोनॅ मतन् ,

ललि बूज़ शतन कुनिय कथ। ।

अर्थात् 

मेरे तलवों का मांस सड़कों से चिमट गया अर्थात् सत्यान्वेषण में मुझे विविध कष्ट सहने पड़े। (अन्त में) एक ही ने एकत्व का मार्ग-दर्शन कराया। जो-जो यह( तत्व) सुनें, क्यों न वे मतवाले बन जाय॔  लल्ला ने सौ बातों की एक बात सुन ली।

 Contributed By: अशोक कौल वैशाली