लज़ क़ासी शीत न्यवारिय    Lalla Wakh लल वाख  - 60

लज़ क़ासी शीत न्यवारिय    Lalla Wakh लल वाख  - 60



लज़ क़ासी शीत न्यवारिय,

तृन ज़ल करान आहार।

यि कॅमि  व्वपदीश कोरूय (हूत) बटा,

अच़ीतन वटस सच़ीतन द्युन आहार।

अर्थात्

यह तेरी लज्जा को ढ़कने वाली है और शीत से तुम्हे बचाती है। तृण ओर जल इसका आहार है। हे मूखॅ पंडित, यह किसने कहा है कि अचेतन ( निर्जीव) पत्थर को तू सचेतन (जीव) खाने को दे।

It covers your modesty and keeps away your cold. It eats grass and drinks water. Who taught you this lesson (doctrine), O foolish Brahman, that you should offer a living sheep to propitiate a lifeless

Contributed By: अशोक कौल वैशाली

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