राजस बॉज्य् यम्य् करतल त्याॅजि,
स्वगॅस बाॅज्य् छुय तफ़ ताॅय दान ।
सहज़स बाॅजय यॅम्य् गवर-कथ् पाॅजि ।
पाप् -प्वणय बाॅजय छुय पननुय पान।।
जो तलवार का घनी बना वह राज्य का भागीदार बना।जिसने तप और दान अपनाए , वह स्वर्ग का अधिकारी बना।जो गुरु वचनों का पालन करता रहा वह सहज स्वरूप की पदवी पा गया अर्थात् वह आत्म-साक्षा-त्कार के चरम लक्ष्य तक पहुंचा। मनुष्य अपने पाप-पुण्य का भागीदार आप है ।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली