मन पुश तॅय यछ़ पुशाॅञी   Lalla Vakh लल वाख  - -32

मन पुश तॅय यछ़ पुशाॅञी   Lalla Vakh लल वाख  - -32



मन पुश तॅय यछ़ पुशाॅञी,

भावॅकि कुसुम लाॅगिज़्यस पूज़े।

शाशि-रस गोड़ दिज़्यस ज़ालदाॅनी,

छ़वपि मंत्र शंकर स्वात्मॅ  वुज़े॥

अर्थात् 

मन माली है और  जिज्ञासा मालिन। भाव-कुसुमों से उसकी पूजा करना। शिशिरस ( अमृत जल ) से उसका अभिषेक करना। मौन होकर मंत्र जाप करने से स्वात्म-शंकर उद्बुद्ध  होगा।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली