पवन पूरिथ युस अनि वगि,
तस ब्व ना स्पर्शि न व्वछि तॅ त्रेशं ।
ति युस करून अन्ति तगि,
सम्सारस सुय ज़्ययि नेछ
**अर्थात् ***
जो प्राणों को पूरक (भीतर खींचने के) द्वारा नियन्त्रित करे, उसको न भूख स्पर्श करेगी न प्यास। जो अन्त तक यह ( प्राणायाम विधि) कर सके,संसारा में उसी (भगवान) का जीना सार्थक है।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली