परून स्वलभ पालुन दुर्लभ   Lalla Wakh लल वाख  - 62  

परून स्वलभ पालुन दुर्लभ   Lalla Wakh लल वाख  - 62  



परून स्वलभ पालुन दुर्लभ,

सहज़ गारून सिख़िम तॅ त्कूठ।

अभ्यासकि गनिरै शास्त्र मोठुम् ,

च़ीतन आनन्द निश्चय गोम्

*** अर्थात्***

पढ़ना सुलभ है, पर उसका पालन करना दुर्लभ है। सहजान्वेषण (स्वात्म की खोज) सूक्ष्म और कठिन है। अभ्यास के धनेरे ( गुंजलक) में सब शास्त्र भूल बैठी। दृढ़ निष्ठा के बल पर फिर भी मुझे चेतन-आनंद की प्राप्ति हुई ।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली