परून स्वलभ पालुन दुर्लभ,
सहज़ गारून सिख़िम तॅ त्कूठ।
अभ्यासकि गनिरै शास्त्र मोठुम् ,
च़ीतन आनन्द निश्चय गोम्
*** अर्थात्***
पढ़ना सुलभ है, पर उसका पालन करना दुर्लभ है। सहजान्वेषण (स्वात्म की खोज) सूक्ष्म और कठिन है। अभ्यास के धनेरे ( गुंजलक) में सब शास्त्र भूल बैठी। दृढ़ निष्ठा के बल पर फिर भी मुझे चेतन-आनंद की प्राप्ति हुई ।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली