दीव वटा दीवार वटा, *
प्यठॅ ब्वनॅ छुय ईकवाठ।
पूज़ कंस करख हूटॅ बटा,
कर मनस त पवनस संगाठ।।
देव भी पत्थर है और देवल (मंदिर) भी पत्थर । ऊपर नीचे सवंत्र एक-सी पाषाणमय स्थिति है। हे पंडित, तू किस की पूजा करेगा ? मन और पवन ( प्राण ) को एक-साथ मिला दे - अर्थात् प्राणायाम की विधि से चितवृतियो का निरोध कर।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली