दमाह् दम कोरमस दमन हाले,   Lalla Vakh लल वाख  - 39

दमाह् दम कोरमस दमन हाले,   Lalla Vakh लल वाख  - 39



दमाह् दम कोरमस दमन हाले,

प्रज़ल्योम दीफ़ तॅ ननेयम् ज़ाथ।

अंद्रिम प्रकाश न्यबर छ़ोटुम,

गटि रोटुम तॅ कॅर्मस थफ।।

अर्थात्  

मैं क्षण-प्रतिक्षण कुम्भॅक द्वारा प्राण-निरोध करती रही। इस (अभ्यास) से मेरे अन्तर में (ज्ञान) दीप प्रज्वलित हुआ ओर मैं अपनी यथार्थ सता ज्ञान गई। मैंने अन्तर्प्रकाश बाहर प्रकट किया ओर तम में उस(सत्य) को दृढ़ता से ऐसे थामा कि जाने न पाय।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली