तनॅ-मनॅ गयस बो तस कुनुइ   Lalla Vakh लल वाख  -42

तनॅ-मनॅ गयस बो तस कुनुइ   Lalla Vakh लल वाख  -42



तनॅ-मनॅ गयस बो तस कुनुइ,

बूज़मॅ सतच्य घण्टा वज़ान्।

तथ जायि धार्-णायि धारण रटॅम,

आकाश तॅ प्रकाश कोरूम सरॅ।

अर्थात्

तन-मन से मै उसके ध्यान में रही । मैंने सत्य की घंटी बजते सुनी । वहां (उस स्थिति में) मैने धारणा को धारण किया, तब मुझे आकाश और प्रकाश का तत्व ज्ञान हुआ।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली