तनॅ-मनॅ गयस बो तस कुनुइ,
बूज़मॅ सतच्य घण्टा वज़ान्।
तथ जायि धार्-णायि धारण रटॅम,
आकाश तॅ प्रकाश कोरूम सरॅ।
अर्थात्
तन-मन से मै उसके ध्यान में रही । मैंने सत्य की घंटी बजते सुनी । वहां (उस स्थिति में) मैने धारणा को धारण किया, तब मुझे आकाश और प्रकाश का तत्व ज्ञान हुआ।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली