च़ालुन छू वुज़मलॅ तॅ त्त्रटै,
च़ालुन छु मन्दिन्यन गटकार।
च़ालुन छु पान पनुन कडुन ग्रुटै,
ह्रातॅ मालि सन्तूश वाती पानै।।
अर्थात्
सहिष्णुता बिजली और अशिनपात है, सहिष्णुता मधयाह् न में अन्धकार का फैल जाना है। सहनशीलता अपने आपको चक्की में पीसना है। यदि तू संतोष करे तो वहा स्वयं मिल जायेगा।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली