चलॅ चिंता व्वन्दस भयि मो बर,
चोन चिन्थ चिन्थ करान पान॔ अनाद।
च्य को-ज़न्-न्य् ख़्योद हरि कर,
कीवल तसुन्दुय तारूक नाद।
अर्थात्
हे चंचल चित! भय से आक्रांत न हो । अनादि स्वयं तुम्हारी चिंता कर रहा है। तुझे मालूम तेरी क्षुधा ( भूख) वह कब दूर कर दे।केवल उसी (ओ३म् ही) का पल -छिन जाप करता रह।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली