चलॅ चिंता व्वन्दस भयि मो बर, Lalla Vakh लल वाख  - 44

चलॅ चिंता व्वन्दस भयि मो बर, Lalla Vakh लल वाख  - 44



चलॅ चिंता व्वन्दस भयि मो बर,

चोन चिन्थ चिन्थ करान पान॔  अनाद।

च्य को-ज़न्-न्य्  ख़्योद हरि कर,

कीवल तसुन्दुय तारूक नाद।

अर्थात्   

हे चंचल चित! भय से आक्रांत न हो । अनादि स्वयं तुम्हारी चिंता कर रहा है। तुझे मालूम तेरी क्षुधा ( भूख) वह कब दूर कर दे।केवल उसी (ओ३म्  ही) का पल -छिन जाप करता रह।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली