ग्वरन वोननम् कुनुय वचुन,
न्यब्रॅ दोपनम् अंद्रॅय अचुन।
सुय गौ ललि म्य वाख तॅ
वचुन। तवै म्यॅ ह्योतुम नंगै नचुन॥
गुरू ने मुझे एक ही वचन की दीक्षा दी कि बाहर से भीतर को जा ( अतमुंख हो जा ) वही वाक्य था, वही वचन था जो मुझ लल्लीका पथदर्शक और प्रेरक बना। तभी मैं मस्त दिगम्बर अवस्था में नाचने लगी॥
Goran wunum kuni wachun nabri dupnam ander auchun sue go lali gav wakh ti wachun tawe huth lalay nangey nachun.
Contributed By: अशोक कौल वैशाली