ग़ाफिलो हॅकॅ कदम तुल्,
वुनि छय सुल तॅ छाण्डुऩ यार।
पर कर पैदा पवज़ि तुल ,
वुनि छय सुल तॅ छ़ाणडुन यार।।
ऐ गगिफल,ते - तेजज कदम बढ़ा, अभी सवरा है। अपने मित्र को तलाश कर । पंख पैदा कर कि तुझे उड़ कर जाना है। अभी समय है, अपने मित्र को ढूंढ ले।।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली