आयस वते गयस वते   Lalla Vakh लल वाख  - 49

आयस वते गयस वते   Lalla Vakh लल वाख  - 49



आयस वते गयस वते,

सुमन स  स्वथि मंज़ लूस्तुम दूह।

चन्दस वुछुम तॅ हार न अथे।

नावतारस दिमॅ क्या बूव

अर्थात्

(मैं ) सीधी राह (जनपथ) से आई , पर सीधी राह से लौट न पाई ।अभी  सेतु के बीच ही जा रही थी कि इतने में दिन ढल गया। जब ज़ेब में हाथ डाल कर देखा  तो उसमें एक कोडी भी न थी ।जब ज़ेब में हाथ डाल कर देखा तो उसमें एक कोडी भी न थी। अब बताओ, पार-तरावा में  तो क्या दू।

सीधी राह से आई, पर लोट न सकी उसी राह से। मन-रूपी बांध ( सेतु ) से जा रही थी कि दिन ढल गया। भीतर झांका तो  हर ( शिव ) का नाम  न पाया।  कहिये,तब पार तरावा क्या दू ?।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली