अव्यसतॉरी पोथ्यन छि हो हो मालि परान् Lalla Wakh ललवाख-67

अव्यसतॉरी पोथ्यन छि हो हो मालि परान् Lalla Wakh ललवाख-67



अव्यसतॉरी पोथ्यन छि हो हो मालि परान्,

यिथॅ तोत परान् 'राम' पंजरस्।

गीता परान् तॅ हीथा लबान,

पॅरॅम् गीता तॅ परान् छ्यस् ।।

अर्थात   

विचारहीन (मूर्ख) लोग धर्म-ग्रंथों को उसी प्रकार बचाते रहते है, जिस प्रकार पिंजरे में तोता राम राम की रट लगाता है।(ऐसों के लिए) गीता-पाठ मात्र एक बहाना है (दिखावा है) गीता मैने पढ़ी और पढ़ती हूँ-अर्थात्  समझ कर अनुसरण करने का यत्न करती हूँ

Contributed By: अशोक कौल वैशाली