तेरे होने से गुरु देवा,शुभ काम हो रहा है।

तेरे होने से गुरु देवा,शुभ काम हो रहा है।



तेरे होने से गुरु देवा,शुभ काम हो रहा है।

करते हों तुम गुरु देवा,

नाम किसी का लग रहा है।।*

संकल्प शुद्ध मन में,

अनुग्रह से उठ रहे हैं।

प्रेरणा तेरी होने से,

यह शरीर उठ रहा है।।

तेरे चाहने से गुरु देवा,

सब भोग चढ़ रहे हैं।

हाथ अपना इसे लगा कर,

अमृत बना रहे हैं।।

भक्तों को खुद बुला कर,

कल्याण कर रहे हो।

अन्तः करण भक्तों के,

आप शुद्ध कर रहे हो।।

स्मरण ख़ुद अपनी दे कर,

नाम दान दे रहे हो।

भक्तों के शुभ कर्मो में,

खुद रंग ला रहे हो।।

सेवा ख़ुद अपनी दे कर,

गुरु कृपा कर रहे रहे हो।।

कर्ता का अहं तौड कर,

भगवान से जोड़ रहे हों।।

संकट की औधियो में,

भक्तों को थाम रहें हों।

रिश्ता भक्त भगवान का,

आप खुद निभा रहे हों।।

     *अर्थात्***

(मर्यादा भक्त भगवान की, 

आप खुद बचा रहें हो

भावना दान पुष्य की,

दिल में जगा रहे हो।

गिरते हुए ग़रीब को,

आप खुद उठा रहें हो।।

दीप्तिमान आत्मा के रूप में,

हदय कंमल में बैठे हो।

हडिड़यो का यह ढॉचा,

माया वश घूम रहा है।।

सिर के ऊपर आसन से,

अमृत छिड़क रहे हो।

दिव्य शक्ति के प्रवेश से,

शक्ति-पात कर रहे हो।

अन्तरआत्मा के रूप में,

आप खुद ही बोल रहे हो।

माया के अंधकार में,

गुरु शब्द सुन रहे हैं।।