आतंकवाद सख्ती से ही रुकेगा
महाराज शाह संपादक कॉशुर समाचार 2019
पुलवामा आत्मघाती हमले में 40 और इस हमले के गुनाहगारों को खत्म करते हमारे 5 जवान शहीद हो गए। इस बात की आड में आतंकियों के समर्थ सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत की अपनी रट अलापने लगे और तथाकथित कश्मीर मसले पर लोगों का ध्यान भटकाने में लग गए इस तरह हमेशा की तरह इन ताकतों ने जिन में महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों बराबर शामिल हैं, आतंकवाद का किसी भी प्रकार विरोध जुबानी जमाखरच तक ही सीमित रखा और पाकिस्तान के कश्मीर मसले को पोषित करने में अपनी ताकत लगाई।
भारत में इसी प्रकार के नेरेटिव को खूब जोरदार ढंग से आगे बेचने वाले शांतिदूतों के गिरोह भी सुर में सुर मिलाने लगे। आतंकी हमले की अवमानवता को और इस प्रकार के हमले कि धार कुद हो और आतंकवाद के स्थान पर केंद्र में तथाकथित कश्मीर मसला आ जाए। भारत डर कर और दबाव में आकर बातचीत की टेबल पर आकर आतंकवादी पाकिस्तान से बात करे। सवाल उत्पन्न होता है कि क्या बात करे? और क्यों बात करे। बात सभ्य और सुसस्कृत समाज से होती है,उनसे बात कैसे हो जो हाथों में बदूक लेकर सीना ताने आप पर गोली चला रहे हों और बातचीत की वकालत भी करते हों। इस बात को समझना होगा कि वह लोग जो इस्लामी राज्य और शरिया को आजादी का नाम देकर एक धार्मिक उन्माद खड़ा कर हमारे देश को धर्म के नाम पर तोड़ने की कोशिश कर रहे हों उनसे किसी प्रकार की बात करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
उनके खिलाफ हर प्रकार से बस लड़ना ही एक उपाय है और उनको लड़ कर ही हरा कर ही हम अपने देश की अखडता और विशिष्टता को बचा सकते हैं। कितु इस बात का कितना दुख होता है कि अपने भीतर इस प्रकार के लोग मौजूद हैं जो राष्ट्र की सुरक्षा को दांव पर लगाकर आतंकवादी पाकिस्तान के समर्थन में आने को हमेशा तत्पर रहते हैं। भारत द्वारा आतंकवादियों पर सख्ती से किए गए किसी भी प्रकार से तिलमिला उठते हैं। उनको आतंकवादी समर्थक पत्थरबाजों से अधिक सहानुभूति है पर सुरक्षाबलों से नहीं जिनकी वजह से वह आतंकवादियों से बेखौफ होकर जीवन बिताता है।
भारत जब-जब पाकिस्तान के भीतर जाकर आतंकी ठिकाने तबाह करता है तो यह लोग सबूत मागते हैं और लाशों का हिसाब तक। दुनिया जब भारत के इस पराक्रम की तारीफ करती है. इन लोगों के मुंह फूल जाते हैं और इस बात पर ही सवाल उठाते हैं कि ऐसा हमला हुआ हो।
जानते इस्लामी, जो कि एक आतंकवादी समर्थक व प्रजातंत्र विरोधी संगठन है, को यह लोग खुलकर हिमायत करते हैं और इन पर किसी भी तरह की सरकारी कार्यवाही को यह अनुचित ठहराते हैं। इनसे तो केवल मोदी जी ही निपट सकते हैं
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साभारः महाराज शाह संपादक कॉशुर समाचार 2019 एवम् मार्च 2019, कॉशुर समाचार