भारत माता की जय

- भारत माता की जय




भारत माता की जय

 बृजनाथ बेताब   

देश, मानव शरीर उत्पन्न करने वाली मां की भांति ही देशवासियों के लिए मा होता है। जन्म देने वाली मा के साथ संतान के स्नेह की ही तरह देशवासियों के रोम-रोम में मातृभूमि के लिए प्रेम भरा रहता है। भारतवासियों की यह परपरा रही है कि हम अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं भले ही हमने फौज की वर्दी पहनी हो या न पहनी हो।

देशप्रेम की यह भावना मन में ऐसे रहती हैं जैसे शरीर में आत्मा। इस भावना को बार-बार यदि प्रकट न भी किया जाए फिर भी किसी न किसी रूप में जीवन का मार्गदर्शन करती ही रहती है। हालाकि देश के जीवन में ऐसे कुछ दिन जरूर आते हैं जब देशप्रेम की भावना उभर कर सामने आती है और देशवासी उत्सव मनाते हैं। हमारे लिए ऐसे ही दो उत्सव 26 जनवरी और 15 अगस्त हैं जो हमारे राष्ट्र के गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस हैं और हम इस दिन खूब जश्न मनाते हैं।

इस बार मगर हमारे लिए जश्न मनाने का एक और मौका तब आया जब अमरीका के अडर सेक्रेटरी वेंडी शरमन ने भारत की यात्रा के दौरान पाकिस्तान के सबसे बड़े आतंकवादी हाफिज सईद पर 1 करोड़ अमरीकी डालर के ईनाम की घोषणा की हाफिज सईद जमालुदावा का मुखिया है और माना जाता है कि जमातुदावा लश्करे तयैबा का मुखोटा है और उसी ने मुंबई हमले की साजिश रची थी।

अमरीका की इस घोषण के कई पक्ष हैं। एक पक्ष तो यह है कि पिछले कुछ समय से अमरीका और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है। यह तनाव तब से शुरू हुआ जब अमरीका की एक सैन्य कार्यवाई में ओसामा बिन लादेन को ऐबटाबाद में एक महफूज घर में मार गिराया गया। अमरीका की इस कार्यवाई से पाकिस्तान का दोगलापन सामने आया और पाकिस्तान दुनिया के सामने नंगा हो गया क्योंकि वह बार-बार यह कहता रहा था कि उसे ओसामा बिन लादेन के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही ओसामा पाकिस्तान में है।

आज यह समाचार सामने आ रहे हैं कि हाफिस सईद मुंबई हमले तक ओसामा बिन लादेन के संपर्क में था। कुछ समाचारों में तो यह भी बताया जाता है कि मुबई हमले में भी ओसामा का हाथ था।

दूसरा पक्ष यह है कि भारत मुंबई हमले के बाद से ही पाकिस्तान से हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाता रहा है। पर पाकिस्तान ने हमेशा ही अनसुनी कर दी। इस पर तुर्रा यह कि हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है बल्कि भारत के विरुद्ध जहर भी उगलता है। अमरीका की इस घोषणा से उस पर लगाम लगने की आशा है।

तीसरा पक्ष जो शायद सबसे महत्वपूर्ण है और जिस पर सभी देशवासी शायद सतोष व्यक्त करें वो यह है कि हाफिज सईद पर ईनाम की घोषणा अमरीका ने की है। यह वही अमरीका है जो अभी कुछ ही समय पहले तक पाकिस्तान का पक्षधर था और भारत की किसी भी बात को मानने से राजी न था। यह वही अमरीका है। जिसने कश्मीर में आतकवाद के मामले में पाकिस्तान के ही दावों की हिमायत की आज अमरीका ने न केवल अपनी नीति में बदलाव किया है बल्कि इस बात का एहसास भी किया है कि भारत आतकवाद और पाकिस्तान के बारे में जो कुछ कहता रहा है वो सब सही था, सच्च था।

अमरीका की नीति में बदलाव का हम सब भारतवासी स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि पाकिस्तान भी वर्तमान स्थिति को समझेगा और आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करेगा जिससे न केवल भारत के साथ उसके संबंध सुधर जाएंगे, जिसकी शुरूआत व्यापार के विषय में हो चुकी है, बल्कि कश्मीर में भी हालात सामान्य करने में मदद मिलेगी। भारत सरकार से भी उम्मीद है। कि अमरीका की इस घोषणा के बदले वो देश के किसी भी हित का सौदा नहीं करेगी। 

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साभारः  बृजनाथ बेताब एवम् अप्रैल 2012, काशुर समाचार,