Walter Ellis Mosley is an American novelist, most widely recognized for his crime fiction. He has written a series of best-selling historical mysteries featuring the hard-boiled detective Easy Rawlins, He is born on 12 January 1952 (age 68 years), Los Angeles, California, United States and has received Edgar Grand Master Award, Edgar Award for Best Novel, National Book Foundation Medal for Distinguished Contribution to American Letters etc
Mosley was born in California. His mother, Ella (born Slatkin), was Jewish and worked as a personnel clerk; her ancestors had immigrated from Russia. His father, Leroy Mosley (1924–1993), was an African American from Louisiana who was a supervising custodian at a Los Angeles public school. He had worked as a clerk in the segregated US army during the Second World War. His parents tried to marry in 1951 but, though the union was legal in California where they were living, no one would give them a marriage license.
He was an only child and ascribes his writing imagination to "an emptiness in my childhood that I filled up with fantasies". Walter Mosley attended the Victory Baptist day school, a private African-American elementary school that held pioneering classes in black history. When he was 12, his parents moved from South Central to more comfortably affluent, working-class west LA.[6] He graduated from Alexander Hamilton High School in 1970. Mosley describes his father as a deep thinker and storyteller, a "black Socrates". His mother encouraged him to read European classics from Dickens and Zola to Camus. He also loves Langston Hughes and Gabriel García Márquez. He was largely raised in a non-political family culture, although there were racial conflicts flaring throughout L A at the time. He later became more highly politicised and outspoken about racial inequalities in the US, which are a context of much of his fiction.
He went through a "long-haired hippie" phase, drifting around Santa Cruz and Europe. Mosley dropped out of Goddard College, a liberal arts college in Plainfield, Vermont, and then earned a political science degree at Johnson State College. Abandoning a doctorate in political theory, he started work programming computers. He moved to New York in 1981 and met the dancer and choreographer Joy Kellman, whom he married in 1987. They separated 10 years later and were divorced in 2001. While working for Mobil Oil, Mosley took a writing course at City College in Harlem after being inspired by Alice Walker's book, The Color Purple.[8] One of his tutors there, Edna O'Brien, became a mentor to him and encouraged him, saying: "You're Black, Jewish, with a poor upbringing; there are riches therein." Mosley still resides in New York City.
Mosley says that he identifies as both African-American and Jewish, with strong feelings for both groups.
Mosley started writing at 34 and has written every day since, penning more than forty books and often publishing two books a year. He has written in a variety of fiction categories, including mystery and afro futurist science fiction, as well as non-fiction politics. His work has been translated into 21 languages. His direct inspirations include the detective fiction of Dashiell Hammett, Graham Greene and Raymond Chandler. Mosley's fame increased in 1992 when presidential candidate Bill Clinton, a fan of murder mysteries, named Mosley as one of his favorite authors. Mosley made publishing history in 1997 by foregoing an advance to give the manuscript of Gone Fishin' to a small, independent publisher, Black Classic Press in Baltimore, run by former Black Panther Paul Coates.
His first published book, Devil in a Blue Dress, was the basis of a 1995 movie starring Denzel Washington, and the following year a 10-part abridgement of the novel by Margaret Busby, read by Paul Winfield, was broadcast on BBC Radio 4. The world premiere of Mosley's first play, The Fall of Heaven, was staged at the Playhouse in the Park, Cincinnati, Ohio, in January 2010. Mosley has served on the board of directors of the National Book Awards. Mosley is on the board of the Trans Africa Forum.
In 2010, there was a debate in academic literary circles as to whether Mosley's work should be considered Jewish literature. Similar debate has occurred as to whether he should be described as a black author, given his status as a best-selling writer. Mosley has said that he prefers to be called a novelist. He explains his desire to write about "black male heroes" saying "hardly anybody in America has written about black male heroes... There are black male protagonists and black male supporting characters, but nobody else writes about black male heroes."
In 2019, after working in the writers room for the series Snowfall, Mosley was hired by Alex Kurtzman for a similar role on the third season of Star Trek: Discovery. After working on the series for three weeks, Mosley was notified by CBS of a complaint made against him by another member of the writers room for Mosley's use of the word "nigger" while telling a story. CBS told Mosley this was usually a fireable offence, but said no further action would be taken and asked that he not use the word again outside of a script. Mosley chose to leave the series, quitting without informing Kurtzman and Paradise and explaining his decision in an op-ed for The New York Times in September 2019. He did not identify Discovery as the series he was working on in the op-ed, but this was confirmed in reports on the op-ed shortly after its release.
- Walter Mosley
लेखक वेदव्यास
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है। विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
अष्टादश महापुराणों में श्री विष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता, ध्रुव प्रह्लाद, वेनु, आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा, विकास की परम्परा, कृषि गोरक्षा आदि कार्यों का संचालन, भारत आदि नौ खण्ड मेदिनी, सप्त सागरों के वर्णन, अद्यः एवं अर्द्ध लोकों का वर्णन, चौदह विद्याओं, वैवस्वत मनु, इक्ष्वाकु, कश्यप, पुरुवंश, कुरुवंश, यदुवंश के वर्णन, कल्पान्त के महाप्रलय का वर्णन आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है।
यद्यपि यह पुराण विष्णुपरक है तो भी भगवान शंकर के लिये इसमे कहीं भी अनुदार भाव प्रकट नहीं किया गया। सम्पूर्ण ग्रन्थ में शिवजी का प्रसंग सम्भवतः श्रीकृ्ष्ण-बाणासुर-संग्राम में ही आता है, वहाँ स्वयं भगवान कृष्ण महादेवजी के साथ अपनी अभिन्नता प्रकट करते हुए श्रीमुखसे कहते हैं-
“त्वया यदभयं दत्तं तद्दत्तमखिलं मया। मत्तोऽविभिन्नमात्मानं द्रुष्टुमर्हसि शंकर।
योऽहं स त्वं जगच्चेदं सदेवासुरमानुषम्। मत्तो नान्यदशेषं यत्तत्त्वं ज्ञातुमिहार्हसि।
अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः। वन्दति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर॥ „
इस पुराण में इस समय सात हजार श्लोक उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी श्लोक संख्या तेईस हजार बताई जाती है। विष्णु पुराण में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।
यह एक वैष्णव महापुराण है, यह सब पातकों का नाश करने वाला है। इसकी कथा निम्नलिखित भागों मे वर्णित है-
पूर्व भाग-प्रथम अंश
इसके पूर्वभाग में शक्ति नन्दन पराशर ने मैत्रेय को छ: अंश सुनाये है, उनमें प्रथम अंश में इस पुराण की अवतरणिका दी गयी है। आदि कारण सर्ग देवता आदि जी उत्पत्ति समुद्र मन्थन की कथा दक्ष आदि के वंश का वर्णन ध्रुव तथा पृथु का चरित्र प्राचेतस का उपाख्यान प्रहलाद की कथा और ब्रह्माजी के द्वारा देव तिर्यक मनुष्य आदि वर्गों के प्रधान प्रधान व्यक्तियो को पृथक पृथक राज्याधिकार दिये जाने का वर्णन इन सब विषयों को प्रथम अंश कहा गया है।
पूर्व भाग-द्वितीय अंश
प्रियव्रत के वंश का वर्णन द्वीपों और वर्षों का वर्णन पाताल और नरकों का कथन, सात स्वर्गों का निरूपण अलग अलग लक्षणों से युक्त सूर्यादि ग्रहों की गति का प्रतिपादन भरत चरित्र मुक्तिमार्ग निदर्शन तथा निदाघ और ऋभु का संवाद ये सब विषय द्वितीय अंश के अन्तर्गत कहे गये हैं।
पूर्व भाग-तीसरा अंश
मन्वन्तरों का वर्णन वेदव्यास का अवतार, तथा इसके बाद नरकों से उद्धार का वर्णन कहा गया है। सगर और और्ब के संवाद में सब धर्मों का निरूपण श्राद्धकल्प तथा वर्णाश्रम धर्म सदाचार निरूपण तथा माहामोह की कथा, यह सब तीसरे अंश में बताया गया है, जो पापों का नाश करने वाला है।
पूर्व भाग-चतुर्थ अंश
सूर्यवंश की पवित्र कथा, चन्द्रवंश का वर्णन तथा नाना प्रकार के राजाओं का वृतान्त चतुर्थ अंश के अन्दर है।
पूर्व भाग-पंचम अंश
श्रीकृष्णावतार विषयक प्रश्न, गोकुल की कथा, बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण द्वारा पूतना आदि का वध, कुमारावस्था में अघासुर आदि की हिंसा, किशोरावस्था में कंस का वध, मथुरापुरी की लीला, तदनन्तर युवावस्था में द्वारका की लीलायें समस्त दैत्यों का वध, भगवान के प्रथक प्रथक विवाह, द्वारका में रहकर योगीश्वरों के भी ईश्वर जगन्नाथ श्रीकृष्ण के द्वारा शत्रुओं के वध के द्वारा पृथ्वी का भार उतारा जाना, और अष्टावक्र जी का उपाख्यान ये सब बातें पांचवें अंश के अन्तर्गत हैं।
पूर्व भाग-छठा अंश
कलियुग का चरित्र चार प्रकार के महाप्रलय तथा केशिध्वज के द्वारा खाण्डिक्य जनक को ब्रह्मज्ञान का उपदेश इत्यादि छठा अंश कहा गया है।
उत्तरभाग
इसके बाद विष्णु पुराण का उत्तरभाग प्रारम्भ होता है, जिसमें शौनक आदि के द्वारा आदरपूर्वक पूछे जाने पर सूतजी ने सनातन विष्णुधर्मोत्तर नामसे प्रसिद्ध नाना प्रकार के धर्मों कथायें कही है, अनेकानेक पुण्यव्रत यम नियम धर्मशास्त्र अर्थशास्त्र वेदान्त ज्योतिष वंशवर्णन के प्रकरण स्तोत्र मन्त्र तथा सब लोगों का उपकार करने वाली नाना प्रकार की विद्यायें सुनायी गयीं है, यह विष्णुपुराण है, जिसमें सब शास्त्रों के सिद्धान्त का संग्रह हुआ है। इसमे वेदव्यासजी ने वाराकल्प का वृतान्त कहा है, जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
साभारः- विकिपीडिया ज्ञानकोश
- Vishnu Purana विष्णु पुराण
Vinoba Bhave आचार्य विनोबा भावे
आचार्य विनोबा भावे का जन्म 11 सितम्बर 1895ए को गागोदेए पेनए जिला रायगढ़ए भारतवर्ष में हुआ था। उनकी मृत्यु 15 नवम्बर 1982 पवनारए वर्धाए महाराष्ट्राए भारतवर्ष में हुई।
वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीए सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे। उनका मूल नाम विनायक नारहरी भावे था। उन्हे भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यातमिक उत्तराधीकारी समझा जाता है। उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनारए महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे। उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया। इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को श्अनुशासन पर्वश् कहने के कारण वे विवाद में भी थे।
उन्हे भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्नए 1983 मिला है । उनको अन्तर्राष्ट्रीय रेमन मेगसेसे पुरस्कार 1958 भी मिला है
- Vinoba Bhave आचार्य विनोबा भावेDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo trestingDemo Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting Demo tresting
- Udhan उदानas
- Tomas Moor टाॅमस मूर
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी,1863 को कलकत्ता भारतवर्ष में हुआ था। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 बेलूर मठ, बंगाल रियासत, ब्रिटिश राज भारतवर्ष में हुई। जो अब बेलूर, पश्चिम बंगाल, भारतवर्ष में है।
वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की उनके संबोधन के प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; जो मनुष्य दूसरे जरूरत मंदो मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया। भारत में विवेकानंद को एक देशभक्त संन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- Swami Vivekananda स्वामी विवेकानन्द
Kahlil Gibran was born on January 6, 1883 at Bsharri, Mount Lebanon Mutasarrifate, Ottoman Syria and died April 10, 1931 (aged 48) New York City, United States and his Resting place is at Bsharri, Lebanon. Gibran Khalil Gibran is usually referred to in English as Kahlil Gibran He was a Lebanese-American writer, poet and visual artist, also considered a philosopher although he himself rejected this title.[4] He is best known as the author of The Prophet, which was first published in the United States in 1923 and is one of the best-selling books of all time, having been translated into more than 100 languages.His notable works are The Prophet, The Madman, Broken Wings
Born in a village of the Ottoman-ruled Mount Lebanon Mutasarrifate to a Maronite Christian family, the young Gibran immigrated with his mother and siblings to the United States in 1895. As his mother worked as a seamstress, he was enrolled at a school in Boston, where his creative abilities were quickly noticed by a teacher who presented him to Fred Holland Day. Gibran was sent back to his native land by his family at the age of fifteen to enroll at the Collège de la Sagesse in Beirut. Returning to Boston upon his youngest sister's death in 1902, he lost his older half-brother and his mother the following year, seemingly relying afterwards on his remaining sister's income from her work at a dressmaker's shop for some time.
In 1904, Gibran's drawings were displayed for the first time at Day's studio in Boston, and his first book in Arabic was published in 1905 in New York City. With the financial help of a newly-met benefactress, Mary Haskell, Gibran studied art in Paris from 1908 to 1910. While there, he came in contact with Syrian political thinkers promoting rebellion in the Ottoman Empire after the Young Turk Revolution; some of Gibran's writings, voicing the same ideas, would eventually be banned by the Ottoman authorities. In 1911, Gibran settled in New York, where his first book in English, The Madman, would be published by Alfred A. Knopf in 1918 with writing of The Prophet or The Earth Gods also underway. His visual artwork was shown at Montross Gallery in 1914, and at the galleries of M. Knoedler & Co. in 1917. He had also been corresponding remarkably with May Ziadeh since 1912. In 1920, Gibran re-founded the Pen League with fellow Mahjari poets. By the time of his death at the age of 48 from cirrhosis and incipient tuberculosis in one lung, he had achieved literary fame on "both sides of the Atlantic Ocean", and The Prophet had already been translated into German and in French. His body was transferred to his birth village of Bsharri (in present-day Lebanon), to which he had bequeathed all future royalties on his books, and where a museum dedicated to his works now stands.
As worded by Suheil Bushrui and Joe Jenkins, Gibran's life has been described as one "often caught between Nietzschean rebellion, Blakean pantheism and Sufi mysticism." Gibran discussed different themes in his writings, and explored diverse literary forms. Salma Khadra Jayyusi has called him "the single most important influence on Arabic poetry and literature during the first half of [the twentieth] century", and he is still celebrated as a literary hero in Lebanon. At the same time, "most of Gibran's paintings expressed his personal vision, incorporating spiritual and mythological symbolism, with art critic Alice Raphael recognizing in the painter a classicist, whose work owed "more to the findings of Da Vinci than it [did] to any modern insurgent." His "prodigious body of work" has been described as "an artistic legacy to people of all nations."
- Kahlil Gibranजॉन कीट्स (१७९५-१८२१)'जॉन कीट्स'अंग्रजी साहित्य के प्रखरतम् रोमैंटिक कवियों में से एक हैं । कीट्स ने इश्क को अंग्रजी साहित्य में नया आयाम देते हुए जो उपमाएँ दी ऐसा कार्य अंग्रजी साहित्य में कम ही लोग कर सके। जॉन ने अपने कलाम में अपने प्रेम का प्रकाशन पूरे मन और स्पष्टता के साथ किया है
- John Keats (जॉन कीट्स )