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चैत्र कृष्ण पक्ष, गुरूवार, तृतीया, संकट निवारण चर्तुथी

Jai Jagdish Ji Ke Aarti आरती ॐ श्री जगदीश जी की

आरती ॐ श्री जगदीश जी की

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।।

         ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख निवशे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कश्ट मिटे तन का।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

मात पिता तूम मेरे, शरण गहूँ किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करुँ जिसकी।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खलकामी, कृपा करो भर्ता।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमती।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुःखहर्ता, तूम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

तन, मन, धन जो कुछ है, सब ही है तेरा।

मेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

श्री जगदीश जी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे।।

        ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।