Bab Bhagwan Chalisa श्री बब भगवान  चालीसा

श्री बब भगवान  चालीसा

उों नमो भगवते गोपीनाथाय

दोहा

गुरुवर पाद सुकोमल श्याम,

हस्त सुशोभित कमल समान।

सूर्य है मस्तक अग्नि नेत्र,

श्वेत है वस्त्र बब भगवान ॥

 

जय जय जय भगवान हरे।

देवों के तुम ध्यान धरे ॥ 1 ॥                        

सत् चित्त आनन्द ब्रह्मस्वरूपा

जन जन के चित्त करत निवासा ॥२ ॥

बनत गुरु कृपा अपरम्पारा

सिद्ध सन्त परम विधाता ॥३ ॥

 

अन्दर श् फ्यरन श् नाग निवासा

ध्यान में दर्शन गंगा माता ॥७ ॥

केवल ध्यान धरा देवों का

राम, शिव और ज्वालामाता ॥८ ॥

सत्कर्मों का अलख अगोच़र

सन्त योगियों का योगेश्वर  ॥9॥

परोपकार हेतु लिया अवतार

दीन-दुःखी का किया उद्धार ॥10॥

शक्ति-सागर ज्ञान भण्डारा

भक्तों का है सदा रखवाला ॥11॥

त्रिकाल-दृष्टि हितकर अवधूत

दानवीर त्यागी और स्वयंभूत ।।12 ।।

युद्ध संकट में देश का रक्षक

शूरवीर का महा सहायक ।।१३ ।।

रोगियों का है कष्ट निवारक

दुखियों का है दुःख विनाशक ॥१४ ॥

बिगड़ा काम बनावत सबका

देश, दास और शरणागत का ॥१५ ॥

नाशक रोग उठावत चिमटा

आत्म-ज्ञानी वैद्य चिकित्सा ॥१६ ॥ 

 जलत सेगडी असुर मिटावत

जग कल्याण को धूनी रमावत ॥१७ ॥

औषधि रोगियन भस्माग्नि

आहुतियां गुरु अमृत वाणी  ॥ ॥१८ ॥

दीक्षा दे दी अज्ञाऩी को

ज्ञान मिला जय जय बब बोलो ॥१६ ॥

कहत यहां है सभी समान

एक है मालिक प्रभु भगवान ॥२० ॥

सब का दाता एक अलंकार

मन में रटो केवल ओंकार ॥२१ ॥

दीक्षा लेकर दीक्षा पालो

जन्म जन्म का पाप उतारो ॥२२ ॥

श् वैखुरीयार श् ज्ञान गुणसागर

हुआ आश्रम पीठ उजागर ॥२३ ॥

सिद्ध पीठ आश्रम आत्म-ज्ञान

भक्त जनों का सर्व कल्याण ॥२४ ॥

दया करो हे दया निधान

अजर अमर सदा विद्यमान ॥२५ ॥

कृपा करो गुरु वैभव-ज्ञानी

दीन दयाला अन्तर्यामी ॥२६ ॥

आये शरण तुम्हारे पास

भरी चिलम रखा उपवास ॥२७॥

 

खाना पीना सब त्याग दिया

शत्रु-दुष्टों का नाश किया ॥२८ ॥

ध्यान धरे सदा सुख पावे

शंख बजाकर उनको पूजे ॥२६ ॥

करत निरन्तर उनका ध्यान

साक्षात होवे बब भगवान ॥30॥

विनति हमारी करो स्वीकार

हो जावें भवसागर पार ॥३1 ॥

निस दिन आरती जो जन गावें

भूत प्रेत निकट नहीं आवें ॥३२ ॥

ध्यान धरो सदा सद्गुरु का

नाम है बब गोपी नाथ जिनका ॥33॥

विनति सुनो हमारी आप

मुक्ति पावें छूटे शाप ॥३४ ॥

हम अज्ञानी अन्धकार मिटाओ

दीप जलाकर पथ दिखलाओ ॥३५ ॥

चित्त न धरो अवगुण हमारे

गुण गायन में लीन तुम्हारे ॥३६ ॥

ॐ बब श्री बब जय जय जय बब

जन जन के संग संग बोलो सब ॥३७ ॥

पढ़े जो बब भगवान चालीसा

सिद्ध पूर्ण होवे काम उसी का ॥38॥

हाथों में लेकर श् कण्ठपोश श्

दास खड़े हैं दृढ़ सन्तोष ॥३६ ॥

दया दृष्टि उनपर बारम्बार

मुक्त हो आवागमन से पार ॥४० ॥

दोहा

निष्कल निर्मल ओ३म् है रूप,

सत् चित्त आनन्द परम ध्यान ।

त्यागी कर्मी मन अभ्यासी,

लाल है तिलक बब भगवान ।।

श्री नारायण पुत्र भगवान की जय

श्रीमती हारमाल पुत्र भगवान की जय

साभारः लेखक- चमनलाल राजदान एवम् भगवान गोपीनाथजी ट्रस्ट