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चैत्र कृष्ण पक्ष, शुक्रवार, चर्तुथी

Durga Ji Ki Aarti आरती श्री दुर्गा जी की

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

तुमको निशि दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव जी॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोऊ नैना चन्द्रवदन नीको ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती।

धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

चण्ड.मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दोऊ मारे, सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरूं।

बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू।।

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

 

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

¼ श्री ½  मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।

¼ श्री ½ अम्बे की आरती, जो कोई नर गावे।    ¼ श्री ½

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी।