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कार्तिक कृष्ण पक्ष पंचमी Karthik Krishna Paksha, Panchami

Satisfaction संतोष

Satisfaction संतोष

शिष्यों ने गुरु से प्रश्न किया "गुरुदेव! मनुष्य के लिए सबसे खजाना क्या है ? गुरु संस्कृत की प्रसिद्ध सुभाषित उक्ति का संदर्भ देते हुए शिष्यों से बोले बड़ा

सर्पाः पिबन्ति पवन न च दुर्बलास्ते,

शुष्कैस्तृणैर्वनगजा बलिनो भवन्ति ।

कन्दैः फलैर्मुनिवराः क्षपयन्ति कालं,

सन्तोष एव पुरुषस्य परं निधानम् ॥

                                        - सुभा०, ७८/१४

अर्थात सर्प हवा पाकर रहते हैं, पर कभी दुर्बल नहीं होते। जंगली हाथी सूखा तिनका खाकर रहते हैं, पर तब भी बलिष्ठ होते हैं। मुनिजन कंद-मूल पर जीवित रहते हैं, पर उनका आत्मबल प्रचंड होता है। इससे सिद्ध होता है कि संतोष एवं तप ही मनुष्य का सबसे बड़ा खजाना है। शिष्यों की जिज्ञासा का समाधान हो गया।

साभारः सितंबर, 2016, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 54