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कार्तिक कृष्ण पक्ष पंचमी Karthik Krishna Paksha, Panchami

Pretence ढोंग

Pretence ढोंग

बुद्ध आश्वान राज्य के किसी नगर से गुजर रहे थे। वह स्थान उनके विरोधियों का गढ़ था। जब विरोधियों को बुद्ध के नगर में होने का पता चला तो उन्होंने एक चाल चली। एक कुलटा स्त्री के पेट में बहुत सा कपड़ा बाँधकर भेजा गया। वह स्त्री, जहाँ बुद्ध थे, वहाँ पहुँची और जोर-जोर से चिल्लाकर करने लगी- "देखो, यह पाप इसी महात्मा का है। यहाँ ढोंग रचाए घूमता है और अब मुझे स्वीकार भी नहीं करता।” नगर में खलबली मच गई, उनके शिष्य आनंद बहुत चिंतित हो उठे और पूछा "। अब क्या होगा?

बुद्ध हँसे और बोले- "तुम चिंता मत करो, कपट देर तक नहीं चलता। चिरस्थायी फलने-फूलने की शक्ति केवल सत्य में ही है। इसी बीच उस स्त्री की करधनी खिसक गई और सारे कपड़े जमीन पर आ गिरे। पोल खुल गई। स्त्री अपने कृत्य पर बहुत लज्जित हुई। लोग उसे मारने दौड़े पर बुद्ध ने यह कहकर उसे सुरक्षित लौटा दिया- "जिसको आत्मा मर गई हो, वह मरों से बढ़कर है, उसे शारीरिक दंड देने से क्या लाभ "

साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 34