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कार्तिक कृष्ण पक्ष पंचमी Karthik Krishna Paksha, Panchami

Soul आत्मा

Soul आत्मा

साधु के दर्शनार्थ गांव की भीड़ उमड़ पड़ी । लोग आते साधु के चारणों पर भेट चढ़ाते और उनके वचनामृत का पान करने के लिए बैठ जाते।

साधु कह रहे थे– “सांसारिक प्रेम मिथ्या है। स्त्री, पुत्र तथा सब लौकिक नेह और नाते छोड़कर मनुष्य को आत्मकल्याण की बात सोचनी चाहिए। भगवान का प्रेम ही सच्चा प्रेम है । "

एक छोटा-सा बालक साधु की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था । उसने छोटा-सा प्रश्न किया–“महात्मन् ? मैं कौन हूँ ?” “आत्मा”– साधु ने संक्षिप्त उत्तर दिया। महाराज मेरे पिता, मेरी माता दिन भर मेरे कल्याण की बात सोचते हैं क्या वह आत्मकल्याण न हुआ ? सर्वत्र फैली हुई विश्वात्मा से प्रेम क्या ईश्वर प्रेम नहीं, जो उसके लिए संसार का परित्याग किया जाए? साधु चुप थे उनसे कोई उत्तर देते न बन पड़ा।

साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 27