Akbar and Birbal अकबर और बीरबल

Akbar and Birbal अकबर और बीरबल

शहंशाह अकबर के दरबार में एक कारीगर आया, जो युद्ध में उपयोग किए जाने वाले भाले और ढालें बनाया करता था। उसने अपनी बढ़-चढ़कर प्रशंसा प्रारंभ करी और ये कहना शुरू किया कि उसके कार्य के लिए उसे औरों की तुलना में दोगुना पारिश्रमिक मिलना चाहिए। उसका काम बढ़िया था, पर अकबर उसे निरर्थक दोगुना मूल्य भी नहीं देना चाहते थे। ! समस्या के निराकरण के लिए बीरबल को बुलाया गया। बीरबल ने उससे प्रश्न किया ! "तुम्हारे अस्त्रों की क्या विशेषता है ?" उसने उत्तर दिया- "दुनिया का कोई भी भाला मेरी ढालों को नहीं छेद सकता और संसार में ऐसी कोई ढाल नहीं, जिसे मेरे भाले न छेद सकें।" बीरबल बोले- 'यदि कोई तुम्हारे ही भालों से तुम्हारी ढालों को छेदना चाहे तो क्या होगा ?'' " । उस कारीगर से इसका कोई उत्तर न देते बना और उसने नियत दरों पर काम करना स्वीकार कर लिया।

साभारः- सितंबर, 2012 % अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 16